बुराई तो तुम्हें हजारों की भीड़ में भी तुम्हे ढूंढ लेगी
ठीक उसी प्रकार
जैसे गायों की झुंड में बछिया अपने मां को ढूंढ लेती है
किसी जीव को कष्ट देकर
तुम मुझे खुश कैसे देख सकते हो
श्री कृष्ण जगत के स्वामी हैं , वह कण-कण में निवास करते हैं। छोटे से छोटे जीव के हृदय में ईश्वर का वास होता है। उस जीव को कष्ट का अनुभव होना ईश्वर को कष्ट का अनुभव कराता है। अर्थात किसी जीव को कष्ट देकर अपने ईश्वर को खुश कैसे देख सकते हैं।
वह दिन मत दिखाना कान्हा
कि हमें खुद पर गुरुर हो जाए
रखना अपने दिल में इस तरह
कि जीवन सुफल हो जाए
जो कृष्ण का दास हो जाता है , वह अपने आराध्य से ऐसे दिन ना दिखाने की कामना करता है जिससे उसमें कभी गुरुर आ जाए। वह तो अपने कृष्ण का सेवक बनकर ही जीवन सफल बनाना चाहता है।
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